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Gwalior PHE Scam: जांच में बढ़ाए जा रहे 74 अन्य अधिकारियों और खातेदारों के नाम

जिले में सिर्फ पीएचइ में ही करोड़ों रुपए का घोटाला सामने आ चुका है, जबकि जिले में सभी विभागों के 202 डीडीओ पदस्थ हैं। संभव है कि अन्य विभागों में भी इस तरह की गड़बड़ियां की गई हों।

Publish Date:

Wed, 20 Sep 2023 08: 54 AM (IST)

Updated Date:

Wed, 20 Sep 2023 08: 57 AM (IST)

Gwalior PHE Scam: जांच में बढ़ाए जा रहे 74 अन्य अधिकारियों और खातेदारों के नाम

HighLights

  1. ट्रेजरी अधिकारियों का कहना है कि सिस्टम में हस्ताक्षर की जरूरत नहीं होती है।
  2. संभव है कि अन्य विभागों में भी इस तरह की गड़बड़ियां की गई हों।
  3. हीरालाल आर्य ने कर्मचारियों के वेतन के खातों के नंबर बदलकर दूसरे खातों में राशि ट्रांसफर की है।

ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। पीएचई घोटाले में मुख्य आरोपी हीरालाल आर्य और उसके रिश्तेदार राहुल आर्य के अलावा 74 अन्य अधिकारियों और खातेदारों के नाम बढ़ाए जा रहे हैं। यह कवायद ट्रेजरी द्वारा दी गई जांच रिपोर्ट के आधार पर पुलिस द्वारा की जा रही है, लेकिन इस पूरे मामले में ट्रेजरी स्टाफ द्वारा स्वयं को पाक-साफ बताना संदेह को जन्म दे रहा है। जांच में यह सामने आ चुका है कि बिना किसी मद और बिलों पर अधिकारियों के हस्ताक्षर के भुगतान किए गए हैं। ऐसे में ट्रेजरी के स्टाफ ने इसे क्यों नहीं देखा।

ट्रेजरी अधिकारियों का कहना है कि सिस्टम में हस्ताक्षर की जरूरत नहीं होती है। नियम के मुताबिक किसी भी देयक को जांचने की जिम्मेदारी ट्रेजरी स्टाफ की होती है। एक ही कर्मचारी के नाम पर जब खाते बदले गए, तो ट्रेजरी ने इसे चैक क्यों नहीं किया। ऐसे में पीएचई के मुख्य अभियंता ने संभागीय आयुक्त से मांग की है कि ट्रेजरी की भूमिका की भी जांच कराई जाए। जिले में सिर्फ पीएचइ में ही करोड़ों रुपए का घोटाला सामने आ चुका है, जबकि जिले में सभी विभागों के 202 डीडीओ पदस्थ हैं।

संभव है कि अन्य विभागों में भी इस तरह की गड़बड़ियां की गई हों। इस पूरे मामले में मास्टर माइंड हीरालाल आर्य ने कर्मचारियों के वेतन के खातों के नंबर बदलकर दूसरे खातों में राशि ट्रांसफर की है। पहली जांच रिपोर्ट में जहां 16.42 करोड़ रुपए का घोटाला था, जो हालिया विभागीय रिपोर्ट में इसे 33 करोड़ 80 लाख रुपए का बताया जा रहा है। संभावना जताई जा रही है कि यह आंकड़ा बढ़कर 50 करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है। चूंकि मध्यप्रदेश के कई जिलों में इस तरह के मामले सामने आए हैं और कई जगह ट्रेजरी के कर्मचारियों की संलिप्तता भी पाई गई है, ऐसे में संभावना है कि यहां भी ट्रेजरी की भूमिका की जांच हो सकती है।

खातों के एंगल पर दी क्लीन चिट

इस मामले में ट्रेजरी के अधिकारियों का कहना है कि हमारे किसी भी कर्मचारी के खाते में कोई राशि ट्रांसफर नहीं हुई है। ऐसे में ट्रेजरी का इससे कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन कई भुगतान ऐसे भी हुए हैं, जिनमें बिल सबमिट होने के आधा घंटे के अंदर ही पैसा ट्रांसफर कर दिया गया है। ऐसे में भले ही खातों में कोई लेन-देन नहीं हुआ, लेकिन नगद लेन-देन की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। इसका कारण यह है कि हीरालाल ने भी रिश्तेदारों के खातों में पैसा भेजकर उनसे नगद राशि ली थी। यह पुलिस की पूछताछ में भी सामने आ चुका है।

पीएचइ से जो बिल आनलाइन जनरेट कर हमें भेजे गए, हम उसी को सही मानते हैं। नियम के मुताबिक यह माना जाता है कि विभाग से देखकर ही बिल हमें भेजे गए हैं। इसी आधार पर भुगतान किया गया। जहां तक ट्रेजरी की भूमिका की बात है, तो हमारे किसी भी कर्मचारी के खाते में कोई पैसा नहीं पहुंचा है। पीएचई के अधिकारियों को तो समय पर अपने विभाग का आडिट करना चाहिए था कि आखिर कैसे इतनी राशि गलत तरीके से फर्जी खातों में भेजी जा रही थी।

अरविंद शर्मा, ट्रेजरी आफिसर

इस मामले की जांच पुलिस द्वारा की जा रही है। पीएचई के अलावा ट्रेजरी के कर्मचारियों की मिलीभगत के एंगल की भी संभावना है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, वैसे ही इसमें आरोपी और घोटाले की रकम भी बढ़ सकती है।अक्षय कुमार सिंह, कलेक्टर

कलेक्टर कर रहे हैं निगरानीयह मामला मेरे संज्ञान में आया है। इस मामले में जिला स्तर पर पीएचई और ट्रेजरी की भूमिका के मामले में कलेक्टर निगरानी कर रहे हैं। वही इस मामले में निर्णय लेंगे।

दीपक सिंह, संभागीय आयुक्त