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MP Election 2023: कांग्रेस के लिए दहकते अंगारों जैसी रहेंगी महाकोशल की 38 सीटें, विधायकों से नाराजगी पड़ सकती है भारी

MP Election 2023: कांग्रेस के लिए दहकते अंगारों जैसी रहेंगी महाकोशल की 38 सीटें, विधायकों से नाराजगी पड़ सकती है भारी

MP Election 2023: महाकौशल क्षेत्र में विधानसभा की 38 सीटें आती है। बीते दो चुनावों से यहां आंकड़ेेबदलते रहे हैं। ऐसे में यह क्षेत्र दोनोंं ही दलों के लिए काफी अहमियत रखता है।

Publish Date:

Sun, 17 Sep 2023 08: 52 AM (IST)

Updated Date:

Sun, 17 Sep 2023 08: 58 AM (IST)

MP Election 2023: कांग्रेस के लिए दहकते अंगारों जैसी रहेंगी महाकोशल की 38 सीटें, विधायकों से नाराजगी पड़ सकती है भारी

महाकौशल क्षेत्र पर दोनों दलों की निगाहें

HighLights

  1. महाकौशल क्षेत्र कांग्रेस और भाजपा के लिए अहम
  2. क्षेत्र में आती है 38 विधानसभा सीटें
  3. पिछले दो चुनावों से बदल रहे आंकड़ें

MP Election 2023 कमलेश मिश्रा, जबलपुर। विधानसभा चुनाव को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों की तैयारी जोरों पर है। भाजपा और कांग्रेस के लिए महाकौशल क्षेत्र खास अहमियत रखता है इसलिए मिशन-2023 के तहत दोनों दलों की एक-एक सीट पर पैनी निगाह है। बीते दो चुनावों से यहां आंकड़े पलट रहे हैं इसलिए भी दोनों दलों की धड़कनें बढ़ी हुई है। महाकोशल क्षेत्र में आठ जिले की 38 विधानसभा सीटें आती हैं।

ये रहा अब तक का आंकड़ा

महाकोशल क्षेत्र में जबलपुर, कटनी, डिंडौरी, मंडला, नरसिंहपुर, बालाघाट, सिवनी और छिंदवाड़ा जिले शामिल हैं। 2018 में जहां कांग्रेस और भाजपा का आंकड़ा 24-13 का रहा, वहीं इससे पहले 2013 में भाजपा के पास 24 तो कांग्रेस के पास 13 सीटें रहीं। इन आंकड़ों के लिहाज से भाजपा जहां खुद को सुखद स्थिति में महसूस कर सकती है वहीं कांग्रेस की पेशानी पर बल पड़ सकता है। वर्ष 2013 और 2018 में एक-एक सीट निर्दलियों के पास रही।

कांग्रेस के लिए इसलिए है बड़ी चुनौती

महाकोशल क्षेत्र में 2018 के चुनाव में मतदाताओं ने कांग्रेस को भरपूर समर्थन दिया था। आदिवासी बहुल क्षेत्रों में अधिकांश सीटें उसकी ही झोली में गईं। कांग्रेस ने सरकार बनने पर क्षेत्र से अनेक विधायकों को मंत्री भी बनाया। इसके बावजूद कांग्रेस के 15 महीने के कार्यकाल में क्षेत्र के विकास की इबारत जमीन पर नहीं दिख पाई। कोई भी ऐसा बड़ा काम महाकौशल में कांग्रेस सरकार द्वारा नहीं किया जा सका, जिसका उदाहरण प्रस्तुत किया जा सके।

विपक्ष में आने के बाद भी कांग्रेस विधायकों ने काम करने के बजाय सत्तापक्ष की आलोचना में अधिक समय बिताया। कांग्रेस में सत्ता के केंद्रीकरण और मनमानी सांगठनिक व्यवस्था ने मैदानी कार्यकर्ताओं का मनोबल गिराया।

दोनों प्रदेश अध्यक्षों का प्रभाव क्षेत्र

महाकौशल कांग्रेस और भाजपा दोनों के प्रदेश अध्यक्षों का प्रभाव क्षेत्र माना जा सकता है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ स्वयं छिंदवाड़ा का प्रतिनिधित्व करते हैं तो भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का नाता जबलपुर से है। विष्णु दत्त शर्मा के संसदीय क्षेत्र खजुराहो में महाकौशल के कटनी जिले का बड़ा हिस्सा आता है। इस लिहाज से भी दोनों दल यहां ज्यादा फोकस कर रहे हैं।

महाकौशल में कांग्रेस के लिए तुरुप का इक्का खुद कमल नाथ हैं, लेकिन उनके पास तक कांग्रेस के एक खास वर्ग की ही पहुंच है। भाजपा की ओर से खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार महाकोशल क्षेत्र के नेताओं के संपर्क में हैं।

छोटे दलों का असर बहुत कम

महाकौशल क्षेत्र में बसपा, गोंगपा, आप और जयस जैसे संगठन भी उपस्थिति दिखा चुके हैं लेकिन उनका प्रभाव बहुत कम है। बसपा का एक समय बड़ा जनाधार रहा लेकिन अब वह भी घट चुका है। गोंगपा की भी यही स्थिति है।

कहां, किसके पास कितनी सीटें

जिला भाजपा कांग्रेस अन्य
जबलपुर 4 4 0
कटनी 3 1 0
छिंदवाड़ा 0 7 0
सिवनी 2 2 0
बालाघाट 2 3 1
मंडला 1 2 0
डिंडौरी 0 2 0
नरसिंहपुर 1 3 0
कुल 13 24 1