मध्य प्रदेश का बड़ा मुद्दा : सरकारी प्रयासों के साथ ही जनभागीदारी बढ़ाने से ही पर्यटन के विकास को लगेंगे पंख
मध्य प्रदेश में तीन विश्व विरासत, 12 राष्ट्रीय उद्यान और खूबसूरत पर्यटन स्थलों के बाद भी आकर्षित नहीं हो रहे पर्यटक।
By Sushil Pandey
Publish Date:
Sun, 28 Apr 2024 04: 00 AM (IST)
Updated Date:
Sun, 28 Apr 2024 04: 00 AM (IST)
HighLights
- पर्यटन सीधा जनता से जुड़ा नहीं होने कारण राजनीतिक दलों के लिए कभी मुद्दा नहीं रहा।
- राज्य की सरकारों ने भी उतना ध्यान नहीं दिया जितनी जरूरत थी।
- धार्मिक पर्यटन को बढ़ाने के लिए उज्जैन में श्रीमहाकाल महालोक बनाया गया।
सुशील पांडेय, नवदुनिया। नैसर्गिंक सुंदरता, 12 नेशलन पार्क, तीन विश्व विरासत स्थल और करीब दर्जन भर बड़े धार्मिंक स्थल सहित कई खासियतों से भरपूर देश का हृदय स्थल पर्यटन के क्षेत्र में अभी वह मुकाम हासिल नहीं कर पाया है, जिसका वह हकदार है। हालांकि बीते सालों में प्रदेश ने पर्यटन के क्षेत्र में कई सुधार हुए हैं। फिल्म और रिस्पांसिबल टूरिज्म के तहत कई नवाचार हुए और पर्यटक भी बढ़े हैं, लेकिन अन्य राज्यों की तुलना में अभी भी हम पर्यटकों को आकर्षित करनें में हम पीछे हैं। इसकी बड़ी वजह यह कि पर्यटन सीधा जनता से जुड़ा नहीं होने कारण राजनीतिक दलों के लिए कभी मुद्दा नहीं रहा।
लक्ष्य आधारित काम नहीं हुआ। राज्य की सरकारों ने भी उतना ध्यान नहीं दिया जितनी जरूरत थी। धार्मिक पर्यटन को बढ़ाने के लिए उज्जैन में श्रीमहाकाल महालोक बनाया गया। इसी तर्ज पर आठ और लोक बनाने का काम चल रहा है, पर नैसर्गिक, ऐतिहासिक, पुरातात्विक महत्व वाले पर्यटन स्थलों पर ध्यान कम रहा है। राजनीतिक दल अपने घोषणा पत्र में निजी और सरकारी क्षेत्र में रोजगार देने का वादा करते हैं। पर्यटन को बढ़ाया जाए तो रोजगार के नए अवसरों के द्वार खुल जाएंगे। देश ही नहीं दुनिया के मानचित्र पर एक अच्छे पर्यटन राज्य (टूरिज्म स्टेट) की छवि बन सकती है। केरल, सिक्किम सहित कई राज्य इसके उदाहरण हैं।
एक बात यह भी है कि प्रदेश में जितने पर्यटक आ रहे हैं उस हिसाब भी रोजगार और स्वरोजगार नहीं बढ़ा है। पर्यटन को रोजगार के रूप में स्थापित करने में सरकार विफल रही है। प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों तक हवाई और रेल सुविधा का अभाव भी पर्यटकों के आवागमन में बाधक है। कुछ साल पूर्व शुरू की गई एयर टैक्सी कई सालों तक बंद रही। आवागमन की सुविधा बढ़ाने के लिए केरल की तर्ज पर शुरू की गई हेली टूरिज्म की सुविधा वर्ग विशेष तक सीमित है। देश के प्रमुख पर्यटन राज्य तामिलनाडु, उत्तराखंड, गोवा और केरल से तुलना करें तो हम काफी पीछे हैं। इसी प्रकार पर्यटन सर्किटों से छोटे पर्यटन स्थलों को जुड़ाव भी नहीं है।
जो है उसी संवारें, बढ़ावा देने पर हो जोर
मध्य प्रदेश में धार्मिक, प्राकृतिक, पुरातात्विक और ऐतिहासिक स्थलों की कोई कमी नहीं है। सरकार को चाहिए की कुछ नया बनाने के साथ ही जो मौजूद है उसे संवारें और सरंक्षित करें। इसी प्रकार पर्यटन स्थल और उपलब्ध सुविधाओं का प्रचार-प्रसार अधिक से अधिक किया जाए। हम प्रमोशन में लगातार पिछड़ रहे हैं।
पर्यटन और सांस्कृतिक गतिविधियों से अछूता है पूरा विंध्य
मप्र की राजधानी भोपाल और इसके आसपास समेत मालवा, निमाड़, चंबल और बुंदेलखंड में तो पर्यटन और सांस्कृतिक गतिविधियां खूब हो रही हैं, लेकिन नैसिर्गिंक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर से भरा पूरा विंध्य अंचल (रीवा और शहडोल संभाग)इससे अछूता है। सरकारी और निजी स्तर पर प्रमोशन के अभाव में विदेशी तो दूर घरेलू पर्यटक तक इस अंचल में नहीं पहुंच पा रहे हैं।
विंध्य से ही सटे उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद और वाराणसी में विदेशी पर्यटकों की भरमार है। इन्हें मप्र तक खींचने की आज तक कोई योजना नहीं बनी। विंध्य में मप्र पर्यटन के होटल भी कम हैं और बडे होटल श्रंखला की एक भी इकाई अभी तक खुली नहीं है। प्रदेश के संभावित और अनछुए पर्यटन स्थलों को विकसित करने पर जोर देने की आवश्यकता है। यदि ऐसा होता है तो प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों को और बल मिलेगा। राेजगार और स्वरोजगार के अवसर निर्मित होंगे।
यह प्रयास करने की आवश्यकता
– पर्यटन स्थलों से जुड़े क्षेत्रों में काम करने वाले गाइड, ड्राइवर, होटल और बुकिंग से जुड़े कर्मचारी समेत जितने भी लोग पर्यटकों के संपर्क में आते हैं, उन्हें सतत प्रशिक्षित करने की जरूरत है।
– पर्यटकों से फीडबैक की व्यवस्था और मजबूत हो और सुझावों पर अमल हो। इससे कमियां दूर होंगी।
– मप्र आने वाले पर्यटक जैसे ही राज्य की धरती पर उतरते हैं, तभी से राज्य की जिम्मेदारी होती है कि उनका ध्यान रखा जाए। असुविधा दूर की जाए।
7वें नंबर पर है मप्र देश में घरेलू पर्यटन में।
10वें नबर पर अंतरराष्ट्रीय पर्यटन में।
-11 करोड़ 19 लाख घरेलू पर्यटक आए 2023 में।
-1 एक लाख 82 हजार विदेशी पर्यटन आए 2023 में।
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नईदुनिया डॉट कॉम इंदौर में मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ डेस्क पर वरिष्ठ उप-संपादक। पत्रकारिता और जनसंचार में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर से बैचलर और विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से मास्टर्स डिग्री। इंदौर में 2014 …