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Crime File Indore: किसके दबाव में छूटा दंगे का आरोपित

Crime File Indore: किसके दबाव में छूटा दंगे का आरोपित

Crime File Indore: पुलिसकर्मी यासिर को लेकर थाने पहुंचे भी नहीं थे कि बड़े नेताओं ने फोन घनघनाना शुरू कर दिया।

Publish Date:

Mon, 06 Nov 2023 01: 47 PM (IST)

Updated Date:

Mon, 06 Nov 2023 01: 47 PM (IST)

Crime File Indore: किसके दबाव में छूटा दंगे का आरोपित

क्राइम फाइल इंदौर

Crime File Indore: क्राइम फाइल, मुकेश मंगल

जिलाबदर आरोपित यासिर पठान को पकड़ने वाले पुलिस अफसरों के पसीने छूट गए। यासिर खरगोन में रामनवमी पर हुए दंगे का मुख्य आरोपित है और उसे खजराना क्षेत्र से पकड़ा गया था। अफसर दबाव सहन नहीं कर सके और हाथोंहाथ छोड़ना पड़ा। यासिर के विरुद्ध खरगोन में सात संगीन अपराध दर्ज हैं। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम से जुड़े यासिर पर खरगोन के तत्कालीन कलेक्टर शिवराजसिंह वर्मा ने खंडवा, खरगोन, इंदौर, बुरहानपुर, देवास और धार जिले की सीमा में घुसने पर रोक लगाई थी। 30 अक्टूबर को यासिर इंदौर पहुंच गया और एआइएमआइएम से विधानसभा चुनाव का नामांकन दाखिल कर दिया। खुफिया सूचना पर पुलिस ने लोकेशन निकाली और यासिर को खजराना क्षेत्र से दबोच लिया। पुलिसकर्मी यासिर को लेकर थाने पहुंचे भी नहीं थे कि बड़े नेताओं ने फोन घनघनाना शुरू कर दिया। यासिर उनके इशारे पर ही शहर में दाखिल हुआ था। मजबूरी में उसे रिहा करना पड़ा।

क्राइम ब्रांच में नजर हटी, दुर्घटना घटी

क्राइम ब्रांच वाले लूट-खसोट का कोई मौका नहीं छोड़ते। नजर हटी-दुर्घटना घटी जैसे हालात हैं। सिपाही से लेकर एसआइ तक अफसरों को गच्चा देने में माहिर हो गए हैं। मोबाइल कांड के बाद सट्टा कांड सुर्खियां बटोर रहा है। कुछ दिन पूर्व टीम ने द्वारकापुरी थाना क्षेत्र से आनलाइन सट्टा पकड़ा था। खबर मिली कि छापा मारने वाली टीम ने जब्ती के रुपयों में गबन कर दिया। अफसर इसकी जानकारी जुटा ही रहे थे कि पुलिसकर्मी लसूड़िया थाना क्षेत्र में पुन: सट्टे के अड्डे पर पहुंच गए। भोपाल के चेतन कुशवाह, पंकज बिरथरे, माधव पाल, यश मंडलोई व हरिकृष्ण को पकड़ लिया, लेकिन सरगना को छोड़ दिया। खबर डीसीपी निमिष अग्रवाल को मिली कि इस बार लेन-देन लाखों रुपये का हुआ है। तब छापे की अगुआई करने वाले दो पुलिसकर्मियों की छुट्टी हो गई। इसके पूर्व डीसीपी अग्रवाल मोबाइल कांड में एसआइ को लूपलाइन कर चुके हैं।

रुपयों से हमारा लेना-देना नहीं है साहब

आचार संहिता की आड़ में नकदी और सोना-चांदी की जब्ती करने वाले पुलिस अफसर इस बार बैकफुट पर हैं। बड़े अफसरों ने तो स्पष्ट कर दिया कि वो व्यापारियों को कतईं परेशान नहीं करेंगे, लेकिन हर बार एफएसटी और एसएसटी के चक्कर में पुलिस वाले फंस जाते हैं। व्यापारियों की नाराजगी के बाद ‘ऊपर’ से इशारा हुआ कि बेवजह परेशान न किया जाए। व्यापारिक क्षेत्र होने से लोग नकदी लेकर जाते हैं। पुलिस ने तो फरमान का अमल किया, लेकिन एफएसटी-एसएसटी वाले कहां मानने वाले हैं। ये कार की डिक्की खुलवाते ही वीडियोग्राफी करवा लेते हैं। फिर न चाहते हुए भी रुपयों की जब्ती करना पड़ती है। हर बार की तरह कार्रवाई का ठीकरा पुलिस पर ही फूटने लगा। पुलिस अफसर अब ‘ऊपर’ खबर भिजवा रहे हैं कि नोट व सोना जब्ती से उनका कोई लेना-देना नहीं है। न उन्होंने किसी को पकड़ा, न थाने में कार्रवाई की।

लोकायुक्त के कैबिन में पसीना-पसीना अफसर

धोखाधड़ी की जांच कर रहे अफसर उस वक्त लोकायुक्त के कैबिन में पसीना-पसीना हो गए, जब यह कहते हुए उन्हें बाहर कर दिया कि मुझे मालूम है किस-किसने रिश्वत ली है। प्रकरण दर्ज होने के डर से आनन-फानन कोर्ट जा पहुंचे। लोकायुक्त ने अफसरों को खजराना थाना में दर्ज केस के संबंध में बुलाया था। दो वर्ष बाद भी चालान, खात्मा, खारजी न लगाने पर सवाल दागे, तो आइपीएस बगले झांकने लगे। टीआइ ने यह कहते हुए मुश्किल बढ़ा दी कि वह खात्मा लगाने को तैयार है, लेकिन साहब अड़े हुए हैं। लोकायुक्त ने चेतावनी दी तो टीआइ दूसरे दिन कोर्ट पहुंचे और प्रतिवेदन पेश कर दिया। यही वजह रही कि लोकायुक्त में फंसते-फंसते बच गए। लोकायुक्त ने तत्कालीन टीआइ, अपर कलेक्टर, नायब तहसीलदार और एएसआइ के खिलाफ प्रकरण दर्ज करवा दिया। हालांकि तिलकनगर थाना का एक प्रकरण साहब की मुसीबत बना हुआ है।