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Gwalior NRC News : अफसरों ने ध्यान ही नहीं दिया, इधर एनआरसी में एक भी बच्चा नहीं

Gwalior NRC News : थाटीपुर स्थित पोषण पुनर्वास यानी एनआरसी खाली पड़ा है। यहां 22 बेड पर एक भी बच्चा नहीं है, यह नौबत तब है जब महिला एवं बाल विकास विभाग की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और आशा कार्यकर्ताओं की यह जिम्मेदारी है।

Publish Date:

Fri, 06 Oct 2023 10: 56 AM (IST)

Updated Date:

Fri, 06 Oct 2023 10: 56 AM (IST)

Gwalior NRC News : अफसरों ने ध्यान ही नहीं दिया, इधर एनआरसी में एक भी बच्चा नहीं

HighLights

  1. महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से बच्चे ही नहीं भेजे जा रहे
  2. संभागायुक्त के निर्देश भी बेअसर

Gwalior NRC News : ग्वालियर. नईदुनिया प्रतिनिधि। थाटीपुर स्थित पोषण पुनर्वास यानी एनआरसी खाली पड़ा है। यहां 22 बेड पर एक भी बच्चा नहीं है, यह नौबत तब है जब महिला एवं बाल विकास विभाग की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और आशा कार्यकर्ताओं की यह जिम्मेदारी है। एनआरसी से बच्चों को भेजने के लिए पत्र भी भेजे जा चुके हैं लेकिन कुछ नहीं है। वहीं संभागायुक्त दीपक सिंह भी निर्देश दे चुके हैं कि जिले में एनआरसी केंद्र खाली नहीं रहने चाहिए। एक भी बच्चा न होने की स्थिति में एनआरसी का भवन तो खाली पड़ा ही है साथ ही स्टाफ के पास कोई काम तक नहीं है। वे रोज खाली बैठे रहते हैं।

कुपोषण को रोकने के लिए एनआरसी एक ऐसा प्लेटफार्म है जहां बच्चों को पोषण आहार दिया जाता है और इस विशेष पोषण से वह दुरूस्त होकर घर पहुंचते हैं। इन्हें घर घर डिटेक्ट करने का काम महिला एवं बाल विकास के पास रहता है। गुरूवार को एनआरसी केंद्र थाटीपुर के सभी बैठ खाली पड़े हुए थे और यहां मौजूद स्टाफ ने बताया कि एनआरसी में एक भी बच्चा नहीं है और चार बच्चे पिछले माह की 28 तारीख तक थे इसके बाद से एक भी बच्चा नहीं भेजा गया है। जिले में कुल पांच एनआरसी केंद्र हैं।

निगमायुक्त ने बाजार वसूली के सभी ठेके किए निरस्त

परिषद से तहबाजारी शुल्क वसूली की दरें तय हो जाने के बाद में गुरुवार को नगर निगम आयुक्त हर्ष सिंह ने हाथ ठेला, फेरी वाले, रेहड़ी वाले व फुटपाथी दुकानदारों से वसूली करने वाले ठेकेदारों के ठेके निरस्त कर दिए। इस संबंध में गत 29 मई को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाथ ठेला विक्रेताओं की महापंचायत में दैनिक बाजार वसूली प्रथा समाप्त करने की घोषणा की थी और 15 जून को नगरीय विकास विभाग ने आदेश जारी कर दिया था। गत पांच सितंबर को हुई परिषद की बैठक में सर्वसम्मति से तहबाजारी शुल्क के रूप में 25 रुपए प्रतिमाह, 75 रुपए प्रति तीन माह, 150 रुपए छमाही और 300 रुपए सालाना शुल्क निर्धारित कर दिया गया था। इसके बाद तीन अक्टूबर को हुई बैठक में बाजार वसूली के प्रचलित ठेकों को समाप्त करने की स्वीकृति परिषद ने प्रदान की थी। आदेश तत्काल प्रभाव से लागू किया निगमायुक्त ने आदेश जारी कर तत्काल प्रभाव से समस्त ठेके समाप्त कर दिए। उन्होंने राजस्व कर संग्रहकों को निर्देश दिए हैं कि अपने-अपने क्षेत्र में हाथठेला, फेरी वाले, रेहड़ी वालों से निर्धारित दरों से वसूली करना सुनिश्चित करें।