MP Election 2023: बैतूल विधानसभा सीट पर सबकी निगाहें, यह है कारण
MP Election 2023: बैतूल सीट की विशेषता है कि जिस भी दल का विधायक जीतता है, प्रदेश में उस बार उसी दल की सरकार बनती है। यह संयोग भी लगातार चला आ रहा है।
Publish Date:
Mon, 09 Oct 2023 10: 56 AM (IST)
Updated Date:
Mon, 09 Oct 2023 10: 56 AM (IST)
HighLights
- ऐसी सीट जिस पर किसी भी दल को लगातार नहीं मिली जीत
- बैतूल सीट पर जिस भी दल का विधायक जीतता है, मध्य प्रदेश में उसी दल की सरकार बनती है।
- रोचक संयोगों के चलते लोग यहां के परिणाम पर नजर रखते हैं।
MP Election 2023: विनय वर्मा, बैतूल। बैतूल विधानसभा सीट पर सबकी निगाहें लगी रहती हैं। इस सीट से एक अनूठा सियासी संयोग जुड़ा हुआ है। वर्ष 1951 से अब तक हुए विधानसभा चुनावों में कोई भी राजनेता लगातार एक ही दल से दूसरी बार यहां जीत नही पाया है।
जिस दल का विधायक जीता उसी की सरकार
संयोग का क्रम यहीं नहीं थमता, बैतूल सीट की विशेषता है कि जिस भी दल का विधायक जीतता है, प्रदेश में उस बार उसी दल की सरकार बनती है। यह संयोग भी लगातार चला आ रहा है। इन रोचक संयोगों के चलते लोग यहां के परिणाम पर नजर रखते हैं। बैतूल विधानसभा सीट पर दो बार जीतने वाले प्रत्याशी भी अपवाद स्वरूप ही हैं।
दल बदलने पर मिली थी दोबारा जीत
वर्ष 1977 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में माधव गोपाल नासेरी ने जीत हासिल की थी। इसके बाद वर्ष 1980 में उन्हें भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया और वे दूसरी बार जीत गए थे। इसके बाद से लेकर अब तक हुए चुनाव में लगातार दूसरी बार कोई भी प्रत्याशी दूसरी जीत का स्वाद नहीं चख पाया है।
वर्ष 1985 के चुनाव में कांग्रेस के अशोक साबले चुनाव जीते थे और वर्ष 1990 के चुनाव में उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था। वर्ष 1993 के चुनाव में अशोक साबले को फिर से जीत मिल गई थी। 1998 के चुनाव में कांग्रेस ने विनोद डागा को मैदान में उतारा और वे जीतने में सफल रहे। उन्होंने भाजपा के शिवप्रसाद राठौर को पराजित किया था।
वर्ष 2003 के चुनाव में भाजपा के शिवप्रसाद राठौर जीत गए और कांग्रेस के विनोद डागा हार गए। वर्ष 2008 के चुनाव में कांग्रेस ने विनोद डागा को तीसरी बार मैदान में उतारा लेकिन वे लगातार दूसरी जीत दर्ज करने में नाकाम रहे। वर्ष 2013 के चुनाव में भाजपा ने हेमंत खंडेलवाल को प्रत्याशी बनाया और वे चुनाव जीत गए।
वर्ष 2018 के चुनाव में हेमंत खंडेलवाल ने दूसरी बार भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें कांग्रेस के निलय डागा से पराजित होना पड़ गया। हालांकि राजनीति के जानकारों का मानना है कि चुनाव में परिस्थितियां हमेशा बदलती रहती हैं और उसी के अनुरूप परिणाम भी सामने आते हैं।