International Forest Day: तीन साल में बंजर पहाड़ी पर एक लाख पौधे लगाकर बना दिया हरा-भरा जंगल
Forest Day हरसूद रोड पर भावसिंगपुरा गांव के पास ये जंगल अब विशाल रुप धारण करने लगा है और एक से दो किमी दूर से भी आसानी से नजर आने लगा है किसी भी पौधे पर किसी प्रकार का कोई रसायनिक खाद या उर्वरक उपयोग नहीं किया जाता है। जंगल में बड़े लेवल पर बी-फार्मिंग भी की जा रही है। यहां लगभग 50 से ज्यादा बी-हाइव बाक्स लगे हुए है।
By Neeraj Pandey
Publish Date:
Wed, 20 Mar 2024 05: 51 PM (IST)
Updated Date:
Wed, 20 Mar 2024 11: 39 PM (IST)
HighLights
- एकड़ की बंजर पहाड़ी पर एक लाख पौधे लगाकर तीन साल में बना दिया हरा-भरा जंगल
- भावसिंगपुरा व आसपास के 200 से अधिक ग्रामीणों को भी मिला रोजगार
- जंगल की देखरेख के लिए हैदराबाद की नर्सरी को दिया काम, आर्गेनिक फार्मिंग कर रहे
अश्विन राठौर, खंडवा। मन में कुछ करने की चाह हो ताे सबकुछ मुमकिन हो सकता है। ऐसा ही कुछ शहर के एक व्यापारी ने भी अपनी दृढ़ निष्ठा से कर दिखाया है। व्यापारी ने पर्यावरण संरक्षण की ओर एक कदम बढ़ाया। जिसमें उसने 80 एकड़ की बंजर और पथरीली पहाड़ी को तीन साल की मेहनत में हरा-भरा कर दिया।
हरसूद रोड पर भावसिंगपुरा गांव के पास ये जंगल अब विशाल रुप धारण करने लगा है और एक से दो किमी दूर से भी आसानी से नजर आने लगा है। व्यापारी ने इस पहाड़ी पर आर्गेनिक फार्मिंग शुरु की है। जिसके तहत यहां लगभग एक लाख से अधिक पौधे लगाए गए है। जिनमें से अधिकतर अब बड़े होकर लहलहा रहे हैं।
जंगल की देखरेख का काम हैदराबाद की एक कंपनी को दिया गया है। जिसे आर्गेनिक फार्मिंग के क्षेत्र में खासा अनुभव है। व्यापारी की इस पहल से रुधी, भावसिंगपुरा व अमलपुरा सहित आसपास के कुछ गांव के 200 से अधिक लोगों को यहां रोजगार भी उपलब्ध हुआ है। 80 एकड़ की पहाड़ी पर ये आर्गेनिक फार्मिंग शहर के व्यापारी राकेश बंसल के द्वारा की जा रही है। इस कार्य में उनके परिवार के नगीनचंद बंसल, अनुराग बंसल, आशुतोष बंसल व अनिकेत बंसल भी पूरी तरह से सहयोग कर रहे हैं।
ऐसे आया पहाड़ी को जंगल बनाने का आइडिया
व्यापारी राकेश बंसल ने बताया कि कोविड के समय सबकुछ बंद हो चुका था। इस दौरान देखने में आया कि आक्सीजन की कितनी आवश्यकता है। पूरी देश में आक्सीजन के लिए मारा-मारी देखने को मिली। तब ही मेरा मिलना कुछ ऐसे लोगों से हुआ जो कि पर्यावरण के क्षेत्र में काम कर रहे थे। आर्गेनिक फार्मिंग के माध्यम से उन्होंने बड़े-बड़े जंगल तैयार किए। उनके हरे-भरे जंगलों को देख आइडिया आया कि खंडवा में भी पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में यह पहल की जा सकती है।
पथरीली पहाड़ी पर आसाम की स्टेप फार्मिंग की तर्ज पर काम
बंसल ने बताया कि भावसिंग पुरा में मेरे पास काफी जमीन थी। जो पूरी तरह बंजर पड़ी हुई थी। इस पत्थीरी और बंजर पहाड़ी को कुछ हद तक समतल किया। इसके बाद यहां आसाम की स्टेप फार्मिंग की तर्ज पर पौधे लगाने का काम शुरु किया गया। बंजर पहाड़ी को पौधे लगाने लायक बनाने में लगभग एक साल का समय लग गया।
पहाड़ी पर लगे हैं 12 से 15 प्रकार के पौधे पहाड़ी पर लगभग 12 से 15 प्रकार के पेड़-पौधे लगे हुए है। जिनमें विशेष रुप से केसर, आम और महोगनी के पाैधे लगे हुए है। इसके अलावा यहां बांस, जाम, चैरी, जामुन, सेहतु, नारियल, चीकू, वाटर एप्पल, ड्रेगन फ्रूट, अनार आदि के पौधे लगे हुए है।
ड्रिप एरिगेशन
खास बात ये है कि किसी भी पौधे पर किसी प्रकार का कोई रसायनिक खाद या उर्वरक उपयोग नहीं किया जाता है। नगीनचंद बंसल ने बताया कि यहां गाय के गोबर, छाछ, गुड़ व अन्य प्रकार के पदार्थों को मिलाकर लिक्विड खाद बनाया जाता है। जिसे गौ कृपा अमृतम कहा जाता है। जिसे ड्रिप एरिगेशन के माध्यम से पौधों में डाला जाता है।
एक करोड़ लीटर पानी की क्षमता का तालाब जंगल में पेड़-पौधों के लिए पर्याप्त पानी की व्यवस्था के लिए यहां एक ऊंचाई वाले स्थान पर 70 मीटर लंबा, 20 मीटर चौड़ा और 10 मीटर गहरे तालाब का निर्माण किया गया है। इसमें लगभग एक करोड़ लीटर जलभराव की क्षमता है। इस तालाब से जंगल की सिंचाई में काफी फायदा मिल रहा है। इसके साथ ही यहां दो गोशालाएं भी बनाई गई है। जिसमें विभिन्न प्रजातियों के पशुओं को रखा गया है।
ये भी जानिए…..आर्गेनिक फार्मिंग के है ये फायदे
आर्गेनिक फार्मिंग के एक्सपर्ट रहमान अंसारी और शेख जिलानी (जैद नर्सरी) ने बताया कि आर्गेनिक फार्मिंग पूरी तरह केमिकल फ्री होती है। पेड़-पौधों को इससे अच्छे पोषक तत्व मिलते हैं। इन पेड़ों में लगने वाले फलों को खाने से कई तरह रोगों से मुक्ति मिलती है। खासकर पेट की समस्याओं से व्यक्ति को निजात मिलती है। इससे जमीन को भी खासा फायदा होता है। भूमि की पकड़ और उवर्रक क्षमता बरकार रहती है। इसमें पनपने वाला चारा भी काफी पौष्टिक होता है जो पशुओं के लिए काफी फायदेमंद होता है।
बी-फार्मिंग भी साथ में हो रही
इसी जंगल में मधुमक्खियों का भी आशियाना बना हुआ है। अनिकेत बंसल ने बताया कि जंगल में बड़े लेवल पर बी-फार्मिंग भी की जा रही है। यहां लगभग 50 से ज्यादा बी-हाइव बाक्स लगे हुए है। एक बाक्स में लगभग 10 से 20 हजार मधुमक्खियां रहती है। इनसे शहद मिलने के साथ ही जंगल के पेड़ों को भी फायदा मिलता है। पेड़ों पर जब फल पनपने लगते हैं तो ये मधुमक्खियां इन फलों की क्वालिटी इंप्रूव करती है। इनसे फल की डेंसिटी भी बढ़ती है, उत्पादन बढ़ता है।
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पत्रकारिता के क्षेत्र में डेस्क और ग्राउंड पर 4 सालों से काम कर रहे हैं। अगस्त 2023 से नईदुनिया की डिजिटल टीम में बतौर सब एडिटर जुड़े हैं। इससे पहले ETV Bharat में एक साल कार्य किया। लोकसभा और उत्तर प्रदेश, मध् …