अच्छी खबर- Indore Hukamchand Mill: हुकमचंद मिल के सभी पात्र मजदूरों को मिलेगा भुगतान, कोर्ट ने दिया यह आदेश
Indore Hukamchand Mill: कोर्ट ने कहा- परिसमापक के पास पहले से जमा दस्तावेजों से करो सत्यापन। कोर्ट के आदेश के बावजूद मुआवजे के लिए भटक रहे थे।
By Hemraj Yadav
Publish Date:
Mon, 26 Feb 2024 08: 28 PM (IST)
Updated Date:
Mon, 26 Feb 2024 08: 28 PM (IST)
HighLights
- समिति मजदूरों से वेतन पर्ची मांग रही थी, जबकि मिल बंद हुए 33 साल हो गए, ऐसे में पर्ची देना संभव नहीं है।
- कोर्ट ने आदेश दिया कि 2017 में जिन दस्तावेजों के आधार पर भुगतान किया, उनका ही सत्यापन कर भुगतान करें।
- दो माह में अब तक 1400 मजदूरों को ही भुगतान हो चुका है। यह कुल मजदूरों का 25 प्रतिशत ही है।
Indore Hukamchand Mill: नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। कोर्ट के आदेश के बावजूद मुआवजे के लिए भटक रहे हुकमचंद मिल के हजारों मजदूरों को सोमवार को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई। कोर्ट ने कहा कि जब मजदूरों को वर्ष 2017 में आंशिक भुगतान किया जा चुका है, उनके दस्तावेज परिसमापक कार्यालय में जमा हैं तो दिक्कत कहां आ रही है। परिसमापक कार्यालय में पहले से जमा मजदूरों के दस्तावेजों से सत्यापन कर उन्हें भुगतान किया जाए। कोर्ट ने आश्वस्त करते हुए कहा कि हुकमचंद मिल के सभी पात्र मजदूरों को भुगतान मिलेगा। अगली सुनवाई 13 मार्च को होगी।
हुकमचंद मिल के मजदूर 12 दिसंबर 1991 को मिल बंद होने के बाद से अधिकार के लिए भटक रहे हैं। हाल ही में मिल की जमीन पर मप्र गृह निर्माण मंडल और नगर निगम द्वारा संयुक्त रूप से आवासीय और व्यावसायिक प्रोजेक्ट लाने की सहमति बनने के बाद मप्र गृह निर्माण मंडल ने 20 दिसंबर 2023 को परिसमापक के खाते में 217 करोड़ 85 लाख रुपये जमा कराए थे। इस राशि को मजदूरों के खाते में ट्रांसफर किया जाना है। इसके लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है।
दो माह में 1400 मजदूरों को ही मिला भुगतान
मजदूर नेता नरेंद्र श्रीवंश ने बताया कि दो माह में 1400 मजदूरों को ही भुगतान मिल सका है। इसकी वजह है कि समिति मजदूरों से वेतन पर्ची मांग रही है। मिल को बंद हुए 33 वर्ष से अधिक समय हो चुका है। मजदूरों के लिए वेतन पर्ची प्रस्तुत करना संभव नहीं है।
2007 में जमा करा चुके हैं दस्तावेज, वेतन पर्ची
सोमवार को हुई सुनवाई में मजदूरों की ओर से पैरवी कर रहे एडवोकेट धीरजसिंह पवार ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2007 में मजदूरों के दस्तावेज, वेतन पर्ची इत्यादि परिसमापक के कार्यालय में जमा करवाए जा चुके हैं। इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर वर्ष 2017 में मजदूरों को 50 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ था। इसमें एक भी शिकायत गलत भुगतान की नहीं मिली। अब परिसमापक दोबारा दस्तावेज और वेतनपर्ची की मांग कर रहे हैं।
हाई कोर्ट ने दिया यह आदेश
एडवोकेट पवार ने बताया कि कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा है कि वर्ष 2017 में जिस आधार पर मजदूरों को भुगतान किया गया था उसी आधार पर इस बार भी मजदूरों को भुगतान किया जाए। हालांकि देर रात तक हाई कोर्ट की साइट पर कोर्ट का आदेश अपलोड नहीं हो सका था।
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1993 में नवभारत इंदौर में कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में करियर शुरू किया। इसके बाद 1995 में दैनिक भास्कर में प्रूफ रीडर के तौर पर ज्वाइन किया। 1995 में ही सांध्य दैनिक अग्निबाण में भी पेजमेकर के रूप में सेवाएं दी। …