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Khandwa News: खंडवा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए शव वाहन नहीं, बाइक पर ले जाने को मजबूर

Khandwa News: खंडवा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए शव वाहन नहीं, बाइक पर ले जाने को मजबूर

Khandwa News: बेटे के शव को बाइक पर रखकर ले जाने लगा पिता तब जाकर अस्पताल प्रबंधन ने उपलब्ध करवाया वाहन।

Publish Date:

Tue, 03 Oct 2023 10: 49 AM (IST)

Updated Date:

Tue, 03 Oct 2023 11: 00 AM (IST)

Khandwa News: खंडवा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए शव वाहन नहीं, बाइक पर ले जाने को मजबूर

खंडवा जिला अस्पताल परिसर से बाइक पर बच्चे का शव ले जाते स्वजन।

HighLights

  1. घटना सोमवार दोपहर करीब दो बजे जिला अस्पताल की है।
  2. शव ले जाने के लिए निजी वाहन करने के लिए रुपये नहीं थे।
  3. खंडवा शहर में एक ही सरकारी शव वाहन है।

Khandwa News: खंडवा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। ये तस्वीर पूरे जिले को शर्मसार कर रही है। जिसमें एक लाचार पिता शव वाहन नहीं मिलने और गरीबी के कारण निजी वाहन नहीं कर पाने के कारण अपने बच्चे का शव बाइक से ले जा रहा था। हालांकि अस्पताल से शव बाइक पर ले जाते कुछ लोगों ने उसे देखा तो इसकी सूचना अस्पताल को प्रबंधन को दी। प्रबंधन ने शव वाहन की व्यवस्था कर उन्हें अपने गांव भिजवाया। यह घटना सोमवार दोपहर करीब दो बजे जिला अस्पताल की है।

रविवार शाम को हो गई थी बच्चे की मौत

खंडवा जिले के वनांचल ग्राम डेहरिया के कैलाश बारेला ने बताया कि 25 सितंबर को सर्दी-खांसी की शिकायत होने पर मैंने अपने दोनों बच्चे तीन वर्षीय रितेश और छह वर्षीय महेश को निजी डाक्टर को दिखाने के बाद सिरप दी थी। सिरप पिलाने के बाद बच्चे बेहोश हो गए। उस दिन काफी वर्षा हो रही थी। दोनों को मैं जिला अस्पताल ला रहा था। एक बच्चे रितेश की रास्ते में ही मौत हो गई। दूसरे बच्चा महेश यहां आठ दिन से भर्ती था। रविवार शाम महेश की उपचार के दौरान मौत हो गई।

निजी वाहन के लिए नहीं थे पैसे

सोमवार को पोस्टमार्टम कर हमें शव सौंप दिया गया, लेकिन बच्चे का शव ले जाने के लिए मेरे पास निजी वाहन करने के लिए रुपये नहीं थे। इसलिए महेश के काका गोरेलाल बारेला से मैंने चर्चा की और हमने शव को बाइक से ले जाने का फैसला किया। बाइक मेरा भाई गोरेलाल चला रहा था। हमने महेश के शव को बीच में रखा और एक परिवार का सदस्य बाइक के पीछे बैठ गया। दोनों महेश का शव बाइक से लेकर निकले। तभी कुछ लोगों ने जिला अस्पताल परिसर में ही उन्हें रोका और पूछताछ करने लगे।

प्रबंधन ने कराई शव वाहन की व्यवस्था

बच्चे के पिता ने बताया कि जब लोगों को पता चला कि बाइक पर हम शव ले जा रहे थे तो उन्होंने इधर-उधर इस बात की सूचना दी। इस पर हमारे लिए अस्पताल प्रबंधन ने शव वाहन की व्यवस्था करवा दी। इसके बाद बच्चे के शव को हम शव वाहन से लेकर गांव आए। उल्लेखनीय है कि शहर में एक ही सरकारी शव वाहन है। जो नगर निगम का है और ये सुविधा शहरवासियों के लिए है।

इसके अलावा कुछ निजी शव वाहन है, जो नाममात्र के शुल्क सेवा देती है लेकिन ये भी शहरवासियों के लिए है। ग्रामीण क्षेत्र में शव ले जाने के लिए किसी प्रकार की सुविधा नहीं है। निजी एंबुलेंस के लिए गरीब तबके के लोगों के पास रुपये नहीं होने से वे किसी तरह अपनी व्यवस्था कर शव ले जाते हैं। लंबे समय से अस्पताल में शव वाहिनी की मांग हो रही है। इसके अभाव में गरीबों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।