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Betul News: बैतूल में पांडव का वंशज मानकर कांटों पर लोटते हैं रज्जड़ समाज के लोग

Betul News:समाज के लोग इसे वर्षों से चली आ रही परंपरा बताते हुए आज भी निभा रहे हैं। बैतूल जिले के सेहरा ग्राम में सोमवार शाम को यह आयोजन किया गया।

Publish Date:

Tue, 19 Dec 2023 03: 42 PM (IST)

Updated Date:

Tue, 19 Dec 2023 03: 56 PM (IST)

Betul News: बैतूल में पांडव का वंशज मानकर कांटों पर लोटते हैं रज्जड़ समाज के लोग

HighLights

  1. बैतूल में वर्षो से चल रही है यह परंपरा
  2. रज्जड़ समाज के लोग अगहन मास में पांच दिन का उत्सव मनाते हैं
  3. कांटों की सेज पर लेटकर अपने सच्चा होने का प्रमाण देते हैं

Betul News: बैतूल। स्वयं को पांडवों का वंशज मानने वाले रज्जड़ समाज के लोग ना सिर्फ कंटीली झाड़ियों को खुले हाथों से उठाते हैं बल्कि कांटों से बनाए बिस्तर पर लेटते भी हैं । इस दौरान उन्हें शरीर पर चुभते कांटों का दर्द जरा भी महसूस नही होता है। समाज के लोग इसे वर्षों से चली आ रही परंपरा बताते हुए आज भी निभा रहे हैं। बैतूल जिले के सेहरा ग्राम में सोमवार शाम को यह आयोजन किया गया। इस परंपरा के पीछे यह कारण बताया जाता है कि पांडवों को उनकी मुंहबोली बहन का भील जाति के युवक से विवाह करना पड़ा था। इसके लिए उन्होंने कांटों पर लेटकर सत्य की परीक्षा दी थी। अगहन मास में बहन अपने मायके आती है और जब उसे ससुराल के लिए विदा करते हैं तो एक बार फिर से पांडवों के द्वारा कांटों पर लेटकर दी गई सत्य की परीक्षा के लिए समाज के लोग कांटों पर लेटते हैं।

समाज के फत्तू बामने ने बताया कि हम पांडवों के वंशज हैं । कांटों की सेज पर लेटकर वो अपनी आस्था, सच्चाई और भक्ति की परीक्षा देते हैं। ऐसा करने से भगवान खुश होते हैं और उनकी मनोकामना भी पूरी होती है । उन्होंने बताया कि पांडव जब वन में पानी के लिए भटक रहे थे तो उन्हें नाहल समुदाय युवक मिला। पांडवों के सामने उसने पानी का स्त्रोत बताने के बदले में उनकी बहन की शादी भील से करानी होगी । पांडवों की कोई बहन नहीं थी इस पर पांडवों ने एक भोंदई नाम की लड़की को अपनी बहन बनाया और पूरे रीति-रिवाजों से उसकी शादी नाहल के साथ कराई थी। । विदाई के वक्त नाहल ने पांडवों को कांटों पर लेटकर अपने सच्चा होने की परीक्षा देने का कहा था । इस पर सभी पांडव एक-एक कर कांटों पर लेट और खुशी-खुशी अपनी बहन को नाहल के साथ विदा किया था ।

इस कारण रज्जड़ समाज के लोग अगहन मास में पांच दिन का उत्सव मनाते हैं और अंतिम दिन बहन की विदाई करने से पहले कांटों की सेज पर लेटकर अपने सच्चा होने का प्रमाण देते हैं। 18 दिसंबर सोमवार शाम को गांव के आसपास लगे बेर के पेड़ों का पूजन करने के बाद उसकी कंटीली डाल और झाड़ियों को गांव के एक स्थान पर लाया गया। उस पर हल्दी का पानी डालने के बाद समाज के बड़े और बच्चों ने भी कांटों पर लेटकर अपने सच्चा होने की परंपरा का निर्वहन किया। इस दौरान समाज की महिलाएं विदाई के गीत गाती रहीं। सेहरा गांव के दयाल पटेल ने बताया कि इस परंपरा का निर्वहन कई वर्षों से किया जा रहा है।