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Chhindwara Congress Councilors: सात पार्षदों ने बदला पाला, छिंदवाड़ा नगर निगम में अल्पमत में कांग्रेस

Chhindwara Congress Councilors: सात पार्षदों ने बदला पाला, छिंदवाड़ा नगर निगम में अल्पमत में कांग्रेस

Chhindwara Municipal Corporation छिंदवाड़ा नगर निगम में कुल 48 वार्ड हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस के 27, भाजपा के 20 जबकि एक निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली थी। सात पार्षदों के पाला बदलने के बाद भाजपा समर्थक पार्षदों की संख्या 27 हो गई है।

By Neeraj Pandey

Publish Date:

Wed, 06 Mar 2024 10: 49 PM (IST)

Updated Date:

Wed, 06 Mar 2024 10: 55 PM (IST)

Chhindwara Congress Councilors: सात पार्षदों ने बदला पाला, छिंदवाड़ा नगर निगम में अल्पमत में कांग्रेस

HighLights

  1. छिंदवाड़ा नगर निगम में अल्पमत में कांग्रेस
  2. छिंदवाड़ा के सात पार्षदों ने बदला पाला
  3. छिंदवाड़ा नगर निगम में कुल 48 वार्ड

छिंदवाड़ा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। नगर निगम में सात कांग्रेस पार्षदों के पाला बदलने से नगर निगम में कांग्रेस अल्पमत में आ गई है। डेढ़ साल पहले नगर निगम चुनाव हुए थे, जिसमें कांग्रेस के विक्रम अहके महापौर चुने गए थे। कांग्रेस के ही सोनू मागो नगर निगम अध्यक्ष के तौर पर निर्वाचित हुए थे। अब सात कांग्रेस पार्षदों के पाला बदलने के बाद स्थिति बदल गई है।

भाजपा समर्थक पार्षदों की संख्या 27

छिंदवाड़ा नगर निगम में कुल 48 वार्ड हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस के 27, भाजपा के 20 जबकि एक निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली थी। निर्दलीय चुने गए पार्षद ने बाद में कांग्रेस की सदस्यता ले ली थी। अब सात पार्षदों के पाला बदलने के बाद भाजपा समर्थक पार्षदों की संख्या 27 हो गई है।

कांग्रेस पार्षदों की संख्या घटकर 20 रह गई है। ऐसे में निगम में कांग्रेस अल्पमत में आ गई है। इस दलबदल के कारण अब परिषद में कांग्रेस का बहुमत खत्म हो गया है। इन पार्षदों में छह पार्षद कांग्रेस के टिकट से चुनाव जीते थे और एक पार्षद जगदीश गोदरे निर्दलीय चुनाव जीतकर कांग्रेस में शामिल हुए थे।

महापौर पर नहीं पड़ेगा फर्क

नगरीय विकास विभाग अधिकारियों के अनुसार, पार्षदों के भाजपा ज्वाइन करने के बाद महापौर के पद पर फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि वे सीधे तौर पर जनता से निर्वाचित हैं। अध्यक्ष का पद जरूर प्रभावित हो सकता है। भाजपा को बहुमत मिलने की स्थिति में परिषद के कामों में पार्षदों को साधना महापौर की जिम्मेदारी होगी। वैसे एमआइसी के माध्यम से शासन ने महापौर को बड़े वित्तीय अधिकार दिए हैं, इसलिए ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा।

महापौर सिर्फ उस स्थिति में हट सकते हैं, जब उनका कार्यकाल दो साल का हो जाए। तब पार्षद उनके विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित कर सकते हैं। फिलहाल महापौर का कार्यकाल दो साल का नहीं हुआ है। इससे पहले पांढुर्णा में भी सात पार्षद कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। इसके कारण पांढुर्णा में नगर पालिका में तख्तापलट हो गया है। जिले में अब किसी भी नगर पालिका में कांग्रेस की परिषद नहीं बची है।

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    पत्रकारिता के क्षेत्र में डेस्क और ग्राउंड पर 4 सालों से काम कर रहे हैं। अगस्त 2023 से नईदुनिया की डिजिटल टीम में बतौर सब एडिटर जुड़े हैं। इससे पहले ETV Bharat में एक साल कार्य किया। लोकसभा और उत्तर प्रदेश, मध्