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Pooja Vastrakar: एशियन गेम्‍स में स्‍टार बनकर उभरी मध्‍य प्रदेश की क्रिकेटर पूजा वस्‍त्रकार, बचपन था औरों से अलग

Pooja Vastrakar: एशियन गेम्‍स में स्‍टार बनकर उभरी मध्‍य प्रदेश की क्रिकेटर पूजा वस्‍त्रकार, बचपन था औरों से अलग

पूजा वस्त्रकार के क्रिकेट की शुरुआत शहडोल जिला मुख्यालय के घरौला मोहल्ला के एक पतली सी गली में खेलकर हुई।

Publish Date:

Mon, 07 Mar 2022 01: 12 PM (IST)

Updated Date:

Sun, 24 Sep 2023 08: 56 AM (IST)

Pooja Vastrakar: एशियन गेम्‍स में स्‍टार बनकर उभरी मध्‍य प्रदेश की क्रिकेटर पूजा वस्‍त्रकार, बचपन था औरों से अलग

पूजा ने अपने क्रिकेट की जब शुरुआत की तब उसको यह पता नहीं था कि एक दिन भारतीय क्रिकेट टीम की वह चमकता हुआ सितारा बनेगी।

रवींद्र वैद्य, शहडोल। मध्‍य प्रदेश के शहडोल की रहने वाली पूजा वस्‍त्रकार ने फिर से कमाल कर दिखाया है। उन्‍होंने 17 रन देकर 4 विकेट लेकर अपनी गेंदबाजी का लोहा मनवाया। पूजा ने यह कमाल चीन के हांगजो में चल रहे एशियन गेम्‍स में महिला क्रिकेट में कर दिखाया। पूजा ने अपने क्रिकेट की जब शुरुआत की तब उसको यह पता नहीं था कि एक दिन भारतीय क्रिकेट टीम की वह चमकता हुआ सितारा बनेगी। आज सफलता के ऊंचे पायदान पर अपना मुकाम बनाया है। पूजा वस्त्रकार अपने आप में संघर्ष परिश्रम और चुनौतियों से जूझने का एक पर्याय है। हम यहां उनकी शुरुआत संघर्ष और सफलता को लेकर उनके जीवन के कुछ पहलुओं को उजागर करेंगे।

ऐसे हुई क्रिकेटर बनने की शुरुआत : पूजा वस्त्रकार के क्रिकेट की शुरुआत शहडोल जिला मुख्यालय के घरौला मोहल्ला के एक पतली सी गली में खेलकर हुई। पूजा की उम्र 8 से 9 साल रही होगी तब पूजा टीवी पर क्रिकेट देखा करती थी और इसे देखकर वह भी अपने मकान के सामने पतली सी गली में लड़कों के साथ लकड़ी का पटिया उठाकर क्रिकेट खेलती थी। पुलिस लाइन स्थित ज्ञानोदय स्कूल में कक्षा पांचवी में पढ़ते हुए पूजा ने अपने क्रिकेट की जब शुरुआत की। स्कूल के प्रिंसिपल अजय सिंह ने जब पूजा को खेलते हुए देखा तो उससे कहा कि तुम स्टेडियम में जाकर अभ्यास करो तुम बहुत अच्छा खेलती हो।

स्टेडियम में भी काफी चुनौती : पूजा वस्त्रकार स्टेडियम में जाकर किनारे के छोर पर अपना बैट ले जाकर खेलती थी तब वहां कोच आशुतोष ने उसे बुलाया और कहा कि क्रिकेट सीखोगी पूजा ने हां कहा। उस समय शहडोल में लड़कियां क्रिकेट कम ही खेला करती थी। पूजा ने हां कर दी और दूसरे दिन से कोच ने उसे ट्रेनिंग देना शुरू कर दी।

लड़कों के साथ खेलना नहीं लगता था अच्छा : पूजा वस्त्रकार की मां पूजा को 10 साल की उम्र में छोड़ कर चली गई थी लेकिन उन्होंने पूजा को बल्ला घुमाते हुए जरूर देखा था और उन्होंने टोका भी था कि लड़कों के साथ मत खेला करो लेकिन पिता बंधनराम ने पूजा को हौसला दिया और उसके आगे कोई बंधन नहीं आने दिया। इस तरह से पूजा की शुरुआत हुई और वह समय आया जब वर्ष 2018 में पूजा भारतीय महिला क्रिकेट टीम की के लिए चयनित हुए।

काफी करना पड़ा संघर्ष : पूजा वस्त्रकार का भारतीय महिला टीम में सिलेक्शन हुआ लेकिन उसके बाद पूजा को घुटने में चोट लगने के कारण तकरीबन 1 साल तक मैदान से बाहर रहकर बेंगलुरु में इलाज कराना पड़ा। ऐसे में लगता था कि पूजा का अब कैरियर खत्म हो जाएगा लेकिन पूजा ने हार नहीं मानी फिजियोथैरेपिस्ट और डॉक्टरों की सलाह पर जैसा जैसा कहा गया वैसा उसने किया। शहडोल में आने के बाद वह लगातार महात्मा गांधी स्टेडियम में अभ्यास करने जाती थी सुबह से उठना और अपना नित्य अभ्यास करना उसने अपने जीवन का हिस्सा बना लिया था और उसने ठान लिया था कि वह अपने आप को सिद्ध करके दिखाएगी।

आज सफलता का मिला वरदान : पूजा का संघर्ष और मेहनत उसके काम आया जब पहली बार महिला वर्ल्ड कप में न्यूजीलैंड में पाकिस्तान के खिलाफ खेले गए वनडे मैच में पूजा ने करिश्मा कर दिखाया और पहली बार वह मैन ऑफ द मैच के खिताब से नवाजी गई। आज पूरी दुनिया में शहडोल की पूजा की चर्चा है और लोग उसकी इस सफलता से गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।