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Indore Municipality Scam : इंदौर में न टेंडर निकला-न काम हुआ, नगर निगम से तीन करोड़ रुपये लेकर फरार हुए ठेकेदार

Indore  Municipality Scam : इंदौर में न टेंडर निकला-न काम हुआ, नगर निगम से तीन करोड़ रुपये लेकर फरार हुए ठेकेदार

इंदौर नगर निगम से फर्जी वर्क आर्डर से 28 करोड़ रुपये के भुगतान की साजिश में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है।

By Neeraj Pandey

Publish Date:

Fri, 19 Apr 2024 01: 19 AM (IST)

Updated Date:

Fri, 19 Apr 2024 12: 50 AM (IST)

Indore  Municipality Scam : इंदौर में न टेंडर निकला-न काम हुआ, नगर निगम से तीन करोड़ रुपये लेकर फरार हुए ठेकेदार

वर्क आर्डर से तीन करोड़ रुपये ले चुके हैं ठेकेदार

HighLights

  1. वर्क आर्डर से तीन करोड़ रुपये ले चुके हैं ठेकेदार
  2. पुलिस ने निगम से मांगी अधिकारियों की जानकारी
  3. लंबे समय से चल रहा है फर्जीवाड़ा

नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर : नगर निगम से फर्जी वर्क आर्डर से 28 करोड़ रुपये के भुगतान की साजिश में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। आरोपित फर्म संचालक (ठेकेदार) तीन करोड़ रुपये का भुगतान नगर निगम से जारी भी करवा चुके हैं। इससे मामले में निगम अधिकारियों के शामिल होने की पुष्टि हो गई है। इसके बाद पुलिस ने निगम को पत्र लिखकर उन अधिकारियों, कर्मचारियों की जानकारी मांगी है जो आडिट और भुगतान की प्रक्रिया में शामिल रहे हैं। इधर आरोपित ठेकेदार मोबाइल बंद कर फरार हो गए हैं।

एमजी रोड पुलिस ने मंगलवार को नगर निगम के कार्यपालन यंत्री सुनील गुप्ता की शिकायत पर मे. नींव कंस्ट्रक्शन प्रोप्रायटर मो. साजिद, मे. ग्रीन कंस्ट्रक्शन प्रोप्रायटर मो. सिद्दिकी, मे. किंग कंस्ट्रक्शन प्रोप्रायटर मो. जाकिर, मे. क्षितिज इंटरप्राइजेस प्रोप्रायटर रेणु वडेरा और मे. जाह्नवी इंटरप्राइजेस प्रोप्रायटर राहुल वडेरा के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है।

दरअसल निगम के लेखा विभाग में पिछले दिनों ड्रेनेज एवं जल यंत्रालय विभाग से पांच फर्मों के 20 पे आर्डर आडिट के बाद लेखा शाखा में प्रस्तुत किए थे। ये पे आर्डर 28 करोड़ रुपये के थे। पांच फर्मों को इतनी बड़ी राशि का भुगतान होने से शंका हुई और इसे वापस ड्रेनेज विभाग भेज दिया गया। पता चला कि ये पे-आर्डर फर्जी हस्ताक्षर एवं कूटरचित हैं। जिस काम के बिल लगाए गए हैं, वह काम कभी हुआ ही नहीं। न कभी इस काम के लिए टेंडर जारी हुआ, न वर्क आर्डर।

एमजी रोड पुलिस थाना प्रभारी विजयसिंह सिसौदिया के मुताबिक जांच में यह बात भी सामने आई है कि आडिट के बाद ठेकेदारों को तीन करोड़ रुपये का भुगतान किया भी जा चुका है। पुलिस अब आडिट और भुगतान की प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों की भूमिका की जांच करेगी।

जीएसटी जमा करा चुके हैं ठेकेदार

जांच में यह बात भी सामने आई है कि भुगतान प्राप्त करने के लिए ठेकेदारों ने नगर निगम में जीएसटी भी जमा करा दिया था। इसके बाद ही उन्हें तीन करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। चौंकाने वाली बात यह कि निगम के अधिकारियों ने इस बात की जांच करने की जरूरत ही नहीं समझी कि वास्तव में काम हुआ या नहीं? उन्होंने आंखें मूंदकर फर्जी वर्क आर्डर के नाम पर तीन करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया।

हस्ताक्षर की जांच करवाएगी पुलिस

सिसौदिया ने बताया कि पे-आर्डर, वर्क आर्डर पर जिन अधिकारियों के हस्ताक्षर हैं, उनका कहना है कि ये हस्ताक्षर उनके नहीं हैं। अब पुलिस इन हस्ताक्षरों की विशेषज्ञों से जांच भी करवाएगी। निगम की तरफ से एफआइआर दर्ज कराने वाले अधिकारी का कहना है कि मैं जेल पेन से साइन करता हूं जबकि दस्तावेजों पर बाल पेन से हस्ताक्षर किए गए हैं। पुलिस इसकी भी जांच करेगी।

लंबे समय से चल रहा है फर्जीवाड़ा

यह बात भी सामने आई है कि यह फर्जीवाड़ा वर्ष 2018-19 से चल रहा है। अब नगर निगम वर्ष 2018 और इसके बाद हुए सभी भुगतानों की जांच करेगा। इस बात की भी जांच की जा रही है कि कथित ठेकेदारों ने ड्रेनेज के अलावा और किन-किन विभागों में इस तरह का फर्जीवाड़ा किया है। इस बात की आशंका भी जताई जा रही है कि इस तरह से फर्जीवाड़ा कर निगम के अधिकारियों, कर्मचारियों की मिलीभगत से अब तक करोड़ों रुपये का भुगतान निगम से जारी करवाया जा चुका है।

फाइल कार में लेकर कैसे घूमते रहे अधिकारी

जांच में यह बात भी सामने आई है कि ठेकेदारों की गैंग ने अधिकारियों की कार से फाइल ही गायब कर दी थी। सवाल उठ रहा है कि इतने महत्वपूर्ण मामले की फाइल अधिकारी कार में लेकर क्यों घूमते रहे थे?