Ramotsav in Gwalior: श्रीरामोत्सव में राम की स्तुति करती नृत्यांगनों ने बनाया वातावरण को राम मय
Ramotsav in Gwalior: अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की मंगल घड़ी आ गई है। नईदुनिया श्रीरामोत्सव नगरनिगम के बाल भवन में शुरू हो गया।
Publish Date:
Sat, 13 Jan 2024 10: 04 AM (IST)
Updated Date:
Sun, 14 Jan 2024 03: 57 PM (IST)
HighLights
- सिटी सेंटर स्थित बाल भवन में होगा नईदुनिया का आयोजन
- दोपहर दो बजे से होगा शुरू आयोजन
- नृत्य नाटिका, काव्य पाठ और महाआरती होगी खास
Ramotsav in Gwalior: ग्वालियर, नईदुनिया प्रतिनिधि। राजा मान सिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय की कथक विभाग की अध्यक्ष डा. अंजना झा ने अपने साथियों के साथ राम की स्तिुति नृत्य के माध्यम से की। नृत्य से पूरा वातारण राम मय हो गया। इसके बाद सुप्रसिद्ध भजन गायक अंकित शर्मा ने अपने भजन से बाल भवन मौजूद सभी लोगों के कानों में मीठा रस घोल दिया। सभी राम मय हो गए।
राममंदिर आबा महाराज मठ के उपेंद्र शिरगांव कर ने कहा कि भारतीय जनमानस के प्राण राम है। उन्होंने कहा कि हर्ष हो रहा है। जिस परपंरा का मैं हूं। हम सबके आराध्य राम। जिस रामजी ने सोने की लंका की जमीन को अस्वीकार कर दिया। वे रामजी पांच सौ साल तक अपने स्थान पर जाने के लिए तड़पते रहे। अष्टावक्र महाराज ने रामजी से कहा कि राजा जनता के द्वारा दिए कर का एक पैसा भी अपने उपयोग में नहीं ला सकता है। लोगों की आराधना करने के लिए सब कुछ छोड़ दूंगा। समय आया तो जानकी का भी त्याग कर दूंगा। आराध्य बनने के लिए क्या क्या नहीं करना पड़ता है। इसलिए राम सभी के अाराध्य है। महर्षि बाल्मीक ने 14 तो नारद ने 68 गुण भगवान राम में बताए हैं। इंद्रकथा नहीं होती, चंद्र कथा नहीं होती। लेकिन रामकथा होती है। राम गुणवान हैं। द्वारिकाधीश की भी कथा है। सभी कथाओं में देखा जाए तो वे गुण प्रधान, चरित्र प्रधान व लीला प्रधान होती है। लेकिन राम की कथा गुण व चरित्र प्रधान होती है। इसलिए ही कई कवियों ने रामायण लिखी। हमारे लिए राम आराध्य हैं यह बड़ी बात नहीं है। लेकिन उस समय के राम के शत्रु रावण भी उन्हें अपना आराध्य मानते हैं। शत्रु सेना भी राम की जय बोलती थी। भारतीय जनमानस के प्राण राम हैं।
नईदुनिया के रामोत्सव में भाग लेने के लिए ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह व नारायण सिंह पहुंच गए। कार्यक्रम में मुख्य अतिथियों का स्वागत किया गया। इसके बाद वैदिक स्वस्तिवाचन किया गया।
अयोध्या में भव्य-नव्य श्रीराम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा की घड़ी नजदीक है। सदियों के लंबे संघर्ष, रक्तपात और हजारों प्राणों के उत्सर्ग के बाद 22 जनवरी को सनातन का नव-सूर्य उदित होगा। इस दौरान आपका प्रिय अखबार नईदुनिया श्रीरामोत्सव के मंगल आयोजनों की श्रृंखला आयोजित कर रहा है। इंदौर के बाद बाद यह ग्वालियर में भव्य आयोजन रविवार को होगा। कैप्टन रूपसिंह स्टेडियम के समीप स्थित बाल भवन में यह आयोजन दोपहर दो बजे से आरंभ होगा। सात सत्रों में आयोजित इस कार्यक्रम में वैचारिक और सांस्कृतिक दो पक्ष रखे गए हैं। वैचारिक आयोजन में प्रभु श्रीराम के किसी न किसी कारज के लिए अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा समर्पित कर देने वाले विद्वानों के व्याख्यान होंगे। प्रभु श्रीराम के जन्म से लेकर राज्याभिषेक और जीवन के अन्य चरित को नृत्य नाटिका के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाया जाएगा।
व्याख्यान, नृत्य नाटिका भजन, काव्य पाठ होगा
आयोजन में अपरान्ह तीन बजकर 55 मिनट बजे से होने वाली पैनल चर्चा में जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलसचिव अरूण चौहान, राजा मानसिंह कला एवं संगीत विश्वविद्यालय के कुलपति साहित्य सिंह नाहर, वरिष्ठ साहित्यकार जगदीश तोमर, वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार डा. अवधेश कुमार चंसौलिया और प्राचार्य संस्कृत विद्यालय बालकिशन शर्मा शामिल रहेंगे।
इनकी प्रस्तुतियां होंगी खास
भजन गायक पं. अंकित शर्मा लेखक, वक्ता और गायक हैं। वह फिर एक प्रयास संस्था के संस्थापक भी हैं। साथ ही वह निःशुल्क पुस्तकालय व निःशुल्क भोजन रसोई भी चलाते हैं। अंकित राष्ट्रीय कवि संगम के जिलाध्यक्ष, नगर निगम स्वछता अभियान के ब्रांड एम्बेसेडर हैं। उन्होंने पुस्तक मेरी नज़र से सुन्दरकाण्ड व बनो और बनाओ भी लिखी हैं। वह शहर व बाहर कई बड़े मंचों पर सुन्दरकाण्ड पढ़ चुके हैं, जिसके लिए उन्हें कई सम्मान मिल चुके हैं।
डा. अंजना झा नृत्य समुदाय में एक विचारशील कत्थक नृत्यांगना है। आपने अपनी कथक कला को निखारने के लिए जयपुर घराने के गुरु व कथक नर्तक पंडित राजेंद्र गंगानी से प्रशिक्षण प्राप्त किया। वह कलाकार गुरु और शोधकर्ता हैं। वर्तमान में डा. अंजना राजा मानसिंह तोमर संगीत व कला विश्वविद्यालय के कथक विभाग की विभागाध्यक्ष हैं। आपके अनेक शोध पत्र नेशनल और इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित हुए हैं और एक पुस्तक भी प्रकाशित हो चुकी है। आपने देश व विदेशों के प्रतिष्ठित समारोह में अपनी नृत्य की सफल प्रस्तुतियां दी हैं।
पारुल बांदिल गांगिल आकाशवाणी से जुड़ी हुई हैं। वर्तमान में वह राजा मानसिंह तोमर संगीत व कला विश्वविद्यालय में अतिथि विद्वान के रूप में सेवाएं दे रही हैं। पारुल ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 13 कविताओं को संगीत के साथ स्वरबद्ध किया है, इसका विमोचन स्वयं अटल बिहारी ने किया है। वह राज्य स्तरीय लता मंगेश्कर सुगम संगीत प्रतियोगिता सहित कई प्रतियोगिता में शहर का नाम रोशन कर चुकी हैं।